नाख़ुदा हो कि ख़ुदा देखते रह जाते हैं By Sher << पहले चादर की हवस में पाँव... ख़्वाब और तमन्ना का क्या ... >> नाख़ुदा हो कि ख़ुदा देखते रह जाते हैं कश्तियाँ डूबती हैं उस के मकीं डूबते हैं Share on: