ख़्वाब में नाम तिरा ले के पुकार उठता हूँ By बेख़ुदी, ख़्वाब, याद, Sher << किसी के दर्द-ए-मोहब्बत ने... यही लौ थी कि उलझती रही हर... >> ख़्वाब में नाम तिरा ले के पुकार उठता हूँ बे-ख़ुदी में भी मुझे याद तिरी याद की है Share on: