ख़्वाब मुट्ठी में लिए फिरते हैं सहरा सहरा By Sher << किनारों से जुदा होता नहीं... ख़ौफ़ ऐसा है कि हम बंद मक... >> ख़्वाब मुट्ठी में लिए फिरते हैं सहरा सहरा हम वही लोग हैं जो धूप के पर काटते हैं Share on: