खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो By Sher << ख़ुद चराग़ बन के जल वक़्त... हमें पसंद नहीं जंग में भी... >> खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो हार जीत कोई भी आख़िरी नहीं होती Share on: