खुली जो आँख तो महशर का शोर बरपा था By Sher << क़ुव्वत-ए-तामीर थी कैसी ख... घर में कुछ कम है ये एहसास... >> खुली जो आँख तो महशर का शोर बरपा था मैं ख़ुश हुआ कि चलो आज मर गई दुनिया Share on: