खुली न मुझ पे भी दीवानगी मिरी बरसों By Sher << फ़रेब खाने को पेशा बना लि... जिस के लिए बच्चा रोया था ... >> खुली न मुझ पे भी दीवानगी मिरी बरसों मिरे जुनून की शोहरत तिरे बयाँ से हुई Share on: