'तलब' बड़ी ही अज़िय्यत का काम होता है By Sher << उस ने आ कर हाथ माथे पर रख... सब ने देखा और सब ख़ामोश थ... >> 'तलब' बड़ी ही अज़िय्यत का काम होता है बिखरते टूटते रिश्तों का बोझ ढोना भी Share on: