ख़्वाहिश की तितलियों ने मुलाएम परों के साथ By Sher << सदक़े तेरे होते हैं सूरज ... फिर सावन रुत की पवन चली त... >> ख़्वाहिश की तितलियों ने मुलाएम परों के साथ दस्तक जहाँ पे दी वो तुम्हारा ही दर तो है Share on: