की है सरगोशी सर-ए-शाम मिरे दिल ने फिर By दिल, Sher << उम्र-ए-रफ़्ता जा किसी दीव... कौन गुज़रा है ये आँधियों ... >> की है सरगोशी सर-ए-शाम मिरे दिल ने फिर इस लिए हम ने लपेटा नहीं बिस्तर अपना Share on: