की है उस्ताद-ए-अज़ल ने ये रुबाई मौज़ूँ By Sher << ख़ुद अपने से मिलने का तो ... होगा किसी दीवार के साए मे... >> की है उस्ताद-ए-अज़ल ने ये रुबाई मौज़ूँ चार उंसुर के सिवा और है इंसान में क्या Share on: