किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे By Sher << हम भी 'मुनीर' अब ... जो कहोगे तुम कहेंगे हम भी... >> किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे हम ज़िंदगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके Share on: