किस ज़ालिम ने पर पेड़ों के काट दिए By Sher << अब मुझ से ये दुनिया मिरा ... हज़ारों ज़ुल्म हों मज़लूम... >> किस ज़ालिम ने पर पेड़ों के काट दिए आग उगलती धूप में साया कहीं नहीं Share on: