किस को ख़बर हैं कितने बहकते हुए क़दम By Sher << मस्ती भरी हवाओं के झोंके ... इधर भी इक नज़र ऐ जल्वा-ए-... >> किस को ख़बर हैं कितने बहकते हुए क़दम मख़मूर अँखड़ियों का सहारा लिए हुए Share on: