किसी आहट में आहट के सिवा कुछ भी नहीं अब By Sher << दुश्मनी पेड़ पर नहीं उगती इस क़दर ऊँची हुई दीवार-ए-... >> किसी आहट में आहट के सिवा कुछ भी नहीं अब किसी सूरत में सूरत के सिवा क्या रह गया है Share on: