इस क़दर ऊँची हुई दीवार-ए-नफ़रत हर तरफ़ By Sher << किसी आहट में आहट के सिवा ... इश्क़ की अज़्मतें बजा लेक... >> इस क़दर ऊँची हुई दीवार-ए-नफ़रत हर तरफ़ आज हर इंसाँ से इंसाँ की पज़ीराई गई Share on: