किसी दरवेश के हुजरे से अभी आया हूँ By Sher << अपने लहू में ज़हर भी ख़ुद... गुज़रते जा रहे हैं क़ाफ़ि... >> किसी दरवेश के हुजरे से अभी आया हूँ सो तिरे हुक्म की तामील नहीं करनी मुझे Share on: