अपने लहू में ज़हर भी ख़ुद घोलता हूँ मैं By Sher << इस जहाँ में नहीं कोई अहल-... किसी दरवेश के हुजरे से अभ... >> अपने लहू में ज़हर भी ख़ुद घोलता हूँ मैं सोज़-ए-दरूँ किसी पे नहीं खोलता हूँ मैं Share on: