किसी दुश्मन का कोई तीर न पहुँचा मुझ तक By Sher << रहने दे अपनी बंदगी ज़ाहिद जा के अब नार-ए-जहन्नम की ... >> किसी दुश्मन का कोई तीर न पहुँचा मुझ तक देखना अब के मिरा दोस्त कमाँ खेंचता है Share on: