किसी ग़रीब को ज़ख़्मी करें कि क़त्ल करें By Sher << देख तू यार-ए-बादा-कश मैं ... ये भी ख़ुद को हौसला देने ... >> किसी ग़रीब को ज़ख़्मी करें कि क़त्ल करें निगाह-ए-नाज़ पे जुर्माने थोड़ी होते हैं Share on: