ये भी ख़ुद को हौसला देने का हीला है कि मैं By Sher << किसी ग़रीब को ज़ख़्मी करे... ये आब-दीदा ठहर जाए झील की... >> ये भी ख़ुद को हौसला देने का हीला है कि मैं उँगलियों से लिख रहा हूँ चार सू ला-तक़्नतू Share on: