किसी माशूक़ का आशिक़ से ख़फ़ा हो जाना By Sher << सुना है फूल झड़े थे जहाँ ... हम ज़मीं की तरफ़ जब आए थे >> किसी माशूक़ का आशिक़ से ख़फ़ा हो जाना रूह का जिस्म से गोया है जुदा हो जाना Share on: