सुना है फूल झड़े थे जहाँ तिरे लब से By Sher << जुदा थी बाम से दीवार दर अ... किसी माशूक़ का आशिक़ से ख... >> सुना है फूल झड़े थे जहाँ तिरे लब से वहाँ बहार उतरती है रोज़ शाम के साथ Share on: