किसी परिंद की चीख़ों ने संग-बारी की By Sher << ये कौन तेरे सिवा कर सका उ... हर एक सम्त तिरी याद का धु... >> किसी परिंद की चीख़ों ने संग-बारी की सुकूत-ए-शाम का शीशा बिखर गया मुझ में Share on: