किताब ज़ीस्त में बाब-ए-अलम भी हो महफ़ूज़ By Sher << अब शिकवा-ए-संग-ओ-ख़िश्त क... गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग ... >> किताब ज़ीस्त में बाब-ए-अलम भी हो महफ़ूज़ सियाह-रात का मंज़र सहर में रक्खा जाए Share on: