किताब खोल के देखूँ तो आँख रोती है By Sher << तू ने सूरत न दिखाई तो ये ... ख़ाक-ए-बदन तिरी सब पामाल ... >> किताब खोल के देखूँ तो आँख रोती है वरक़ वरक़ तिरा चेहरा दिखाई देता है Share on: