कितना भी रंग-ओ-नस्ल में रखते हों इख़्तिलाफ़ By Sher << ऊँची उड़ान के लिए पर तौलत... मिट्टी पे नुमूदार हैं पान... >> कितना भी रंग-ओ-नस्ल में रखते हों इख़्तिलाफ़ फिर भी खड़े हुए हैं शजर इक क़तार में Share on: