ऊँची उड़ान के लिए पर तौलते थे हम By Sher << क़लक़ और दिल में सिवा हो ... कितना भी रंग-ओ-नस्ल में र... >> ऊँची उड़ान के लिए पर तौलते थे हम ऊँचाइयों पे साँस घुटेगी पता न था Share on: