कितने अच्छे लोग थे क्या रौनक़ें थीं उन के साथ By Sher << चेहरा चेहरा ग़म है अपने म... कमरे में फैलता रहा सिगरेट... >> कितने अच्छे लोग थे क्या रौनक़ें थीं उन के साथ जिन की रुख़्सत ने हमारा शहर सूना कर दिया Share on: