कोई मौसम मेरी उम्मीदों को रास आया नहीं By Sher << कुरेदता है बहुत राख मेरे ... किसी जनम में जो मेरा निशा... >> कोई मौसम मेरी उम्मीदों को रास आया नहीं फ़स्ल अँधियारों की काटी और दिए बोती रही Share on: