कोई नया मकीन नहीं आया तो हैरत क्या By Sher << वही गुलशन है लेकिन वक़्त ... इतना ख़ाली था अंदरूँ मेरा >> कोई नया मकीन नहीं आया तो हैरत क्या कभी तुम ने खुला छोड़ा ही नहीं दरवाज़ों को Share on: