कोई पत्थर का निशाँ रख के जुदा हों हम तुम By Sher << अब मैं हूँ और ख़्वाब-ए-पर... इश्क़ के कूचे में जब जाता... >> कोई पत्थर का निशाँ रख के जुदा हों हम तुम जाने ये पेड़ किस आँधी में उखड़ जाएगा Share on: