इश्क़ के कूचे में जब जाता है दिल करने को सैर By Sher << कोई पत्थर का निशाँ रख के ... दिन-रात पड़ा रहता हूँ दरव... >> इश्क़ के कूचे में जब जाता है दिल करने को सैर वाँ नहीं मालूम होता रोज़ है या रात है Share on: