कोई फल पाएगा क्या तुख़्म-ए-मोहब्बत बो कर By Sher << तकिया अगर नसीब हो ज़ानू-ए... कोई मा'शूक़ गर्मा-गर्... >> कोई फल पाएगा क्या तुख़्म-ए-मोहब्बत बो कर इस अमर-बेल में तो बर्ग-ओ-समर कुछ भी नहीं Share on: