कोई टूटा हुआ रिश्ता न दामन से उलझ जाए By Sher << क्यूँ मता-ए-दिल के लुट जा... कहाँ पे टूटा था रब्त-ए-कल... >> कोई टूटा हुआ रिश्ता न दामन से उलझ जाए तुम्हारे साथ पहली बार बाज़ारों में निकला हूँ Share on: