कोयल नीं आ के कूक सुनाई बसंत रुत By बसंत, Sher << हर शाख़ ज़र्द ओ सुर्ख़ ओ ... जिस्म-ए-अनवर की लताफ़त की... >> कोयल नीं आ के कूक सुनाई बसंत रुत बौराए ख़ास-ओ-आम कि आई बसंत रुत Share on: