हर शाख़ ज़र्द ओ सुर्ख़ ओ सियह हिज्र-ए-यार में By बसंत, Sher << निगाहों में जो मंज़र हो व... कोयल नीं आ के कूक सुनाई ब... >> हर शाख़ ज़र्द ओ सुर्ख़ ओ सियह हिज्र-ए-यार में डसते हैं दिल को आन के जूँ नाग ऐ बसंत Share on: