क्यूँ सर खपा रहे हो मज़ामीं की खोज में By Sher << जब भी लौटा गाँव के बाज़ार... एहसास-ए-तीरगी था उसे रौशन... >> क्यूँ सर खपा रहे हो मज़ामीं की खोज में कर लो जदीद शायरी लफ़्ज़ों को जोड़ कर Share on: