कुछ अब के धूप का ऐसा मिज़ाज बिगड़ा है By Sher << सुन के रूदाद-ए-अलम मेरी व... तू ख़ुद अपनी मिसाल है वो ... >> कुछ अब के धूप का ऐसा मिज़ाज बिगड़ा है दरख़्त भी तो यहाँ साएबान माँगते हैं Share on: