कुछ देर किसी ज़ुल्फ़ के साए में ठहर जाएँ By Sher << बहुत कतरा रहे हू मुग़्बचो... अहल-ए-बीनश को है तूफ़ान-ए... >> कुछ देर किसी ज़ुल्फ़ के साए में ठहर जाएँ 'क़ाबिल' ग़म-ए-दौराँ की अभी धूप कड़ी है Share on: