कुछ दिन की रौनक़ बरसों का जीना By Sher << बू-ए-गुल था मैं हाथ क्या ... तअ'ज्जुब क्या लगी जो ... >> कुछ दिन की रौनक़ बरसों का जीना सारी जवानी आधा महीना Share on: