कुछ इस तरह के बहारों ने गुल खिलाए हैं By Sher << यहीं कहीं पे कोई शहर बस र... नज़र उठाओ तो झूम जाएँ नज़... >> कुछ इस तरह के बहारों ने गुल खिलाए हैं कि अब तो फ़स्ल-ए-बहाराँ से डर लगे है मुझे Share on: