कुछ इतनी रौशनी में थे चेहरों के आइने By Sher << लोग बे-मेहर न होते होंगे कोई ताइर इधर नहीं आता >> कुछ इतनी रौशनी में थे चेहरों के आइने दिल उस को ढूँढता था जिसे जानता न था Share on: