कोई ताइर इधर नहीं आता By Sher << कुछ इतनी रौशनी में थे चेह... कोई बात ख़्वाब-ओ-ख़याल की... >> कोई ताइर इधर नहीं आता कैसी तक़्सीर इस मकाँ से हुई Share on: