कुछ इज़्तिराब-ए-इश्क़ का आलम न पूछिए By Sher << सामने तारीफ़ ग़ीबत में गि... हँसे भी रोए भी लेकिन न सम... >> कुछ इज़्तिराब-ए-इश्क़ का आलम न पूछिए बिजली तड़प रही थी कि जान इस बदन में थी Share on: