कुछ तज़किरा-ए-हुस्न से रौशन थे दर-ओ-बाम By Sher << जो अज़ल में क़लम चली सो च... वो जोबन बहुत सर उठाए हुए ... >> कुछ तज़किरा-ए-हुस्न से रौशन थे दर-ओ-बाम कुछ शम्अ ने भी बज़्म को चमकाया हुआ था Share on: