कुछ तो एहसास-ए-मोहब्बत से हुईं नम आँखें By Sher << लुत्फ़-ए-सोहबत मता-ए-उल्फ... फ़िक्र की दुनिया में कोलम... >> कुछ तो एहसास-ए-मोहब्बत से हुईं नम आँखें कुछ तिरी याद के बादल भी भिगो जाते हैं Share on: