फ़िक्र की दुनिया में कोलम्बस बना फिरता हूँ मैं By Sher << कुछ तो एहसास-ए-मोहब्बत से... हम को बचपन ही से इक शौक़ ... >> फ़िक्र की दुनिया में कोलम्बस बना फिरता हूँ मैं इल्म की पहनाई का कितना बड़ा फ़ैज़ान है Share on: