कुछ टूटे फटे सीने को साथ अपने सफ़र में By Sher << वो हाथ उन के चूमती है मैं... ये हम जो हिज्र में दीवार-... >> कुछ टूटे फटे सीने को साथ अपने सफ़र में क्या वो भी मुसाफ़िर जो न रक्खे सुई तागा Share on: