कूचा-ए-जानाँ में यारो कौन सुनता है मिरी By Sher << किस लिए लुत्फ़ की बातें ह... टहनी पे ख़मोश इक परिंदा >> कूचा-ए-जानाँ में यारो कौन सुनता है मिरी मुझ से वाँ फिरते हैं लाखों दाद और बे-दाद में Share on: