कुश्ता-ए-रंग-ए-हिना हूँ मैं ओजब इस का क्या By Sher << वो ज़ुल्फ़-ए-मुश्क-बू बिख... ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़ ये ति... >> कुश्ता-ए-रंग-ए-हिना हूँ मैं अजब इस का क्या कि मिरी ख़ाक से मेहंदी का शजर पैदा हो Share on: